Tuesday, October 9, 2012
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Socho
सोचो कि ऊपर न कोई जन्नत सोचो कि नीचे न ही कोई दोजख ऊपर जो देखें बस देखें आसमां सोचो की सब ही जियें बस आज में सोचो कि दुनिया ऐस...
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ऊपर शिव है नीचे शिव है तेरे मेरे भीतर शिव है आदि शिव है अंत भी शिव है हर संगीत की झन झन शिव है 【ऊँ नम: शम्भवाय, च शंकराय मयस्कराय च नम: ...
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जब हर जूनून की वजह तू, क्यूँ न फिर हाथों की लकीरों में तेरा नाम लिख दूं... हर जिक्र में है शामिल तू, क्यूँ न फिर वक़्त के हर पन्न...